tumase kuchh kahoon to kah na sakunga

Tumase kuchh kahoon to मैं अपनी बात कह नहीं पाऊंगा। यह एहसास दिल को छू जाता है।

तुमसे कुछ कहूँ तो कह न सकूँगा,
दूर तुमसे रहूँ तो रह न सकूँगा,
अब बेचैनी दिल की बढ़ रही है,
अब तुम्हें देखे बिना रह न सकूँगा।

दिल की बेचैनी तब बढ़ जाती है जब हम अपनी भावनाएं छुपा लेते हैं। प्यार में यही दर्द अक्सर होता है।

Tumase kuchh kahoon to मेरी जुबान थम जाती है। दिल की हर बात आंखों से बयां होती है।

मोहब्बत की अनकही बातें

जब शब्द कम पड़ जाते हैं, तब दिल की आवाज़ सुनना जरूरी हो जाता है। यही प्यार की सच्चाई है।

दिल के जज़्बात

बेचैनी बढ़ना मतलब प्यार की गहराई को महसूस करना। जो दिल से निकले, वही असली शायरी है।

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