Itni shiddat se mujhako na dekha karo

Itni shiddat se mujhako na dekha karo

Itni shiddat se mujhako ना देखा करो — यह शायरी एक गहरे जज़्बात को बयान करती है। जब किसी की नज़रें ही दीवानगी बढ़ा दें, तो शब्द कम पड़ जाते हैं। लेकिन शायरी वही एहसास जगा देती है जो दिल में छिपा होता है।

दीवानगी और इश्क़ की शायरी

इतनी शिद्दत से मुझको ना देखा करो,
लुट ना जाए कहीं मेरी दीवानगी,
सनम ऐसे पत्थर ना पूजा करो,
मिल ना जाए उसे भी कहीं जिंदगी।

इस शायरी में मोहब्बत, दीवानगी और उस अनकहे डर की बात की गई है जब किसी की नज़रों में खुद को खो देने का डर हो। इश्क़ में एक हद होती है, लेकिन जब वो हद पार हो जाती है, तो हर नज़र भी इबादत लगती है।

शायद इसलिए कहा गया है, Itni shiddat se mujhako ना देखा करो — कहीं ये दीवानगी भी ज़िंदगी से आगे ना बढ़ जाए।

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शायरी की जड़ें बहुत पुरानी हैं। अगर आप इसके इतिहास को समझना चाहते हैं, तो Wikipedia – Shayari भी पढ़ सकते हैं।

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