यह mahafil वही होती है जहाँ दिल जले पर राख ना हो। यह शायरी हमें चाहत की गहराई समझाती है।
वो शमा की महफ़िल ही क्या,
जिसमे दिल खाक ना हो !
मज़ा तो तब है चाहत का,
जब दिल तो जले, पर राख ना हो !!
Vo Shama Ki Mahafil Hi Kya,
Jisme Dil Jal Kar Khaak Na Ho,
Maza To Tab Aata Hai Chahat Ka,
Jab Dil To Jale Magar Raakh Hi Na Ho.
महफ़िल और शायरी का महत्व
शायरी की महफ़िलें हमारे दिलों को जोड़ती हैं। ये Hindi Shayari खासकर तब याद आती हैं जब जज़्बात गहरे हों।
इसी तरह की शायरी पढ़ें
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- Sad Shayari – दिल टूटने की बातें।
शायरी से दिल के जज़्बात बयां करें
जब आप शायरी पढ़ते या लिखते हैं, तो जज़्बातों को व्यक्त करना आसान होता है। यह आपकी भावनाओं को शब्दों में पिरोने जैसा है।
शायरी का डिजिटल दौर
इंटरनेट पर शायरी के लाखों संग्रह उपलब्ध हैं। आप भी Typing Baba जैसी वेबसाइट से अपनी शायरी लिख सकते हैं।