Meri diwanagi ki koi had nahi, ये शायरी आपके दिल के जज़्बात बयां करती है।
मेरी दीवानगी की कोई हद्द नहीं, तेरी सूरत के सिवा कुछ याद नहीं।
मैं हूँ फूल तेरे गुलशन का, तेरे सिवा मुझपर किसी का हक नहीं।
दीवानगी और मोहब्बत का अनमोल रिश्ता
दीवानगी जब अपने असली रूप में आती है, तो हर पल खास बन जाता है। Meri diwanagi ki koi had nahi यह बात इसी गहराई को दर्शाती है।
मोहब्बत में हर एहसास को जीना पड़ता है। यह शायरी आपको उस एहसास का एहसास कराएगी।
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