Mehfil Ajeeb Hai Na Yeh Manzar Ajeeb Hai

Mehfil Ajeeb Hai Na Yeh Manzar Ajeeb Hai

Mehfil Ajeeb Hai Na – इस शायरी में वो गहराई है जो हर दिल की कहानी कह देती है। यह पंक्तियाँ सिर्फ शब्द नहीं, बल्कि उन भावनाओं का आइना हैं जिन्हें हम अक्सर महसूस तो करते हैं लेकिन कह नहीं पाते।

महफिल अजीब है, ना ये मंजर अजीब है,
जो उसने चलाया वो खंजर अजीब है,
ना डूबने देता है, ना उबरने देता है,
उसकी आँखों का वो समंदर अजीब है।

यह शायरी उन लोगों के लिए है जो प्यार में डूब चुके हैं या किसी की याद में खोए रहते हैं। जब हम किसी की आंखों में खुद को देख लेते हैं, तो उनका समंदर हमें डुबोने और उबारने दोनों में सक्षम हो जाता है।

अगर आपको यह शायरी पसंद आई, तो हमारे दिल से शायरी संग्रह को भी जरूर पढ़ें।

Mehfil Ajeeb Hai Na शायरी और उर्दू साहित्य के बारे में अधिक जानने के लिए आप Rekhta.org जैसे विश्वसनीय स्रोत का उपयोग कर सकते हैं।

Related Shayari